स्वप्न मेरे: ग़ज़ल

रविवार, 14 दिसंबर 2008

ग़ज़ल

हाथ में जुम्बिश नज़र में ताब जब तक
कलम से लिक्खुंगा इन्कलाब तब तक

रौशनी का अपनी इंतज़ाम रक्खो
अर्श मैं जलता है आफताब कब तक

गुज़र गए दो, अभी बाकी हैं दो दिन
वक्त के सहता रहूँ अज़ाब कब तक

जब तलक साँसें है, दिल है और तुम हो
देख लूँगा ज़िन्दगी के ख्वाब तब तक

तोड़ कर यादों का कफ़स जान लोगे
जब तलक यादें हैं इज़्तिराब तब तक

चाहता हूँ फ़िर नयी शैतानियाँ करना
माँ तुझे आ जाए न इताब जब तक

उजड़ी हुयी इमारतों के ईंट पत्थर
मांगते हैं जुल्म का हिसाब अब तक

नज़रें झुकाए, हाथ जोड़े,मुस्कुरा कर
शैतान अब मिलेंगे इन्तिखाब जब तक

चंद लम्हे ही सही जी लो तमाम जिंदगी
ख्वाहिश औ अरमान की किताब कब तक

जब तलक जागे हैं पासबान-ऐ-चमन
हर कली, खिलता हुवा गुलाब तब तक

(अज़ाब-दर्द, इज़्तिराब-चिंता बैचेनी, इताब-क्रोध गुस्सा, इन्तिखाब-चुनाव)

16 टिप्‍पणियां:

  1. बहोत ही बढ़िया लिखा है आपने,बधाई स्वीकार करें.. आपको ढेरो बधाई...

    अर्श

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  2. नज़रें झुकाए, हाथ जोड़े,मुस्कुरा कर
    शैतान अब मिलेंगे इन्तिखाब जब तक

    चाँद लम्हे ही सही जी लो तमाम जिंदगी
    ख्वाहिश औ अरमान की किताब कब तक
    बढ़िया लिखा है

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  3. "जब तलक साँसें है, दिल है और तुम हो
    देख लूँगा ज़िन्दगी के ख्वाब तब तक|"
    saans, dil aur aap. teenon ko aapne khwaab se shaandaar tarike se joda hai. badhaai aapko

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  4. हाथ में जुम्बिश नज़र में ताब जब तक
    कलम से लिक्खुंगा इन्कलाब तब तक

    दिगंबर जी, प्रेरक शब्द-विन्यास, बधाई!

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  5. चाँद लम्हे ही सही जी लो तमाम जिंदगी
    ख्वाहिश औ अरमान की किताब कब तक
    "बेमिसाल "
    Regards

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  6. हाथ में जुम्बिश नज़र में ताब जब तक
    कलम से लिक्खुंगा इन्कलाब तब तक
    बहुत अच्छा जज्बा है...आमीन...
    नीरज

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  7. चंद लम्हे ही सही जी लो तमाम जिंदगी
    ख्वाहिश औ अरमान की किताब कब तक


    bhaut bhadiya hai sir....bilkul dil ko chooti hai.....

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  8. नज़रें झुकाए, हाथ जोड़े,मुस्कुरा कर
    शैतान अब मिलेंगे इन्तिखाब जब तक

    चंद लम्हे ही सही जी लो तमाम जिंदगी
    ख्वाहिश औ अरमान की किताब कब तक

    बहुत खूब

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  9. जब तलक साँसें है, दिल है और तुम हो
    देख लूँगा ज़िन्दगी के ख्वाब तब तक

    लाजवाब !

    राम राम १

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  10. बहुत खूब...!!! मन के तार झंकृत कर गई..!!

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  11. अच्छा प्रयास है. मैं समझ रहा हूं कि आप निरन्तरता के दबाव में हैं. खैर.... बधाई..

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  12. bahut hi sundar ghazal likhi hai--aap ki urdu par pakad bahut achchee hai.-har sher bahut hi khubsurat laga kisi ek ko kya importance dun.

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