स्वप्न मेरे: सुना है अब यादें भी साँस लेती हैं ........

शनिवार, 30 जनवरी 2010

सुना है अब यादें भी साँस लेती हैं ........

यादों की देहरी लाँघ
इक लम्हा सजीव हुवा

भोर सिंदूरी ने
ली अंगड़ाई
रात की काली
चादर हटाई

हवा गुनगुनाई
कली मुस्कुराइ
चुपके से मैने ओढ़ ली
तेरे एहसास की गुलाबी रज़ाई

न जाने कब में सो गया

वो पुराना लम्हा
कुछ नये एहसास सिमेटे
यादों के जंगल में
वापस लौट गया

अब नयी यादें
अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
कुछ नये ख्वाब
नये सपने संजोती हैं

सुना है
अब यादें भी साँस लेती हैं ........

57 टिप्‍पणियां:

  1. वो पुराना लम्हा
    कुछ नये एहसास सिमेटे
    यादों के जंगल में
    वापस लौट गया

    अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं

    सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं ..

    वाह-वाह बहुत खूब नासवा साहब !

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  2. सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं



    वाह...क्या शब्द और भाव हैं...दिगंबर जी वाह...बेहतरीन रचना...बधाई...

    नीरज

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  3. सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं ........

    Janab Digambar ji,
    aapko jitni baar bhi padhti hun..sirf ek baat aati hai zabaan par..
    WAAH WAAH WAAH..!!
    aapki yaaadein saansein leti hain aur aapko padh kar hamari bolti band hoti hai..
    kya likhte hain..
    WAAH..!!

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  4. title mein hi sara saar chupa hai..........kitni gahan abhivyakti hai.......waah

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  5. अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं

    बहुत बढ़िया दिगंबर जी आपके खूबसूरत ग़ज़लों से हटकर आज बहुत दिन बाद एक अलग रचना पढ़ने को मिली इसमें कोई संशय नही ये रचना भी बेहतरीन है...बहुत बहुत बधाई

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  6. अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं

    सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं ........

    बहुत खूबसूरत यादों को संजोये हुए है ये रचना...बहुत खूब...

    जवाब देंहटाएं
  7. सुना है अब यादें भी सांस लेती हैं .. कितनी गझिन अनुभूति है....अनुभूति के एहसासों को कितने पास जाकर छू आये आप. बहुत बहुत बधाई इस रचना केलिए !!

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  8. याद की एक अनुभूति कैसे अंअर-बाहर के मौसम को परिवर्तित कर के रख देती है..आपकी रचना से पता चलता है..यही तो है जादू

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  9. सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं .......


    -आह!! हमने भी सुना है..लेकिन कह नहीं पाये-बहुत खूब कहा आपने. शानदार!

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  10. आप की इस कविता में विचार, अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषण के अनेक नूतन क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं।

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  11. सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं ...


    ahhhh kya baat kahi hai...vakai leti hain tabhi to prerna deti hain..bahut achchi rachna

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  12. नासवा जी आदाब
    अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं
    सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं..!!!
    क्या ख़ूब नज़्म कही है, यादें भी सांस लेती हैं वाह..
    मुबारकबाद

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  13. अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं

    सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं ........

    wah wah, lambi lambi sansen leti hain ji.

    जवाब देंहटाएं
  14. क्या कहूँ कितना कहूँ कि इस कविता के सार को मैं शब्दो में बयाँ कर पाऊं , लाजवाब लिखते हैं , आपकी हर एक रचना बेहतरिन लगती है ।

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  15. अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं
    सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं..!!!
    kuchh naye andaaz kuchh nayi baat
    hawa rukh badal di is baar ,is rachna se mujhe apni ek barso purani likhi rachna yaad aa gayi .

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  16. अद्भुत है आपका सौन्दर्यबोध।

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  17. अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं

    सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं .

    " adbhut ...bahut hi sunder...... alfaz nahi hai hamare pass ki hum aapki tarif me aur kuch kahe .."

    ----- eksacchai { AAWAZ}

    http://eksacchai.blogspot.com

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  18. "सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं ."

    बहुत खूब ज़नाब । अति सुन्दर ।

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  19. बहुत सुन्दर रचना!
    दिगम्बर जी आपकी लेखनी और सोच का जवाब नही!

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  20. हवा गुनगुनाई
    कली मुस्कुराइ
    चुपके से मैने ओढ़ ली
    तेरे एहसास की गुलाबी रज़ाई

    और सुना है अब यादें भी साँस लेती हैं------ क्यों न लें जब पुरानी यादों के ख्वाब से कोई आस मिले तो वो जरूर नये सपने बुनेंगी । बहुत सुन्दर कविता है बधाई और शुभकामनायें

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  21. बहुत सुन्दर , गहराई तक उतरती हुई, रचना।
    नासवा साहब, आनंद आ गया।

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  22. अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं...

    Bahut khub. Kya Ahsaas hoga.

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  23. वाह बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ! इस लाजवाब और उम्दा रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!

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  24. बहुत ही लाजवाब रचना. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  25. अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं
    ..yahi jeevan he. yado ka saans lena jaari rahta he..bas uske spandan ko aapke jeise bhaavuk insaan sunkar shbd badhdh kar dete he jo sajeeva ho pratakshya khadee ho jaati he.
    bahut behatreen rachna he ji.

    जवाब देंहटाएं
  26. यादों की देहरी लाँघ
    इक लम्हा सजीव हुवा

    भोर सिंदूरी ने
    ली अंगड़ाई
    रात की काली
    चादर हटाई

    हवा गुनगुनाई
    कली मुस्कुराइ
    चुपके से मैने ओढ़ ली
    तेरे एहसास की गुलाबी रज़ाई ...

    क्या बात है नासवा साहब! बहुत नर्म अहसासों की कविता लिखते है आप. बधाई.

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  27. बहुत ही सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना....
    आभार्!

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  28. हवा गुनगुनाई
    कली मुस्कुराइ
    चुपके से मैने ओढ़ ली
    तेरे एहसास की गुलाबी रज़ाई

    न जाने कब में सो गया

    वो पुराना लम्हा
    कुछ नये एहसास सिमेटे
    यादों के जंगल में
    वापस लौट गया

    अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं

    सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं ....

    har shabad khoobsurat

    जवाब देंहटाएं
  29. अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं

    सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं ........
    -यादें कहाँ मरती हैं..समय की गर्त में कहीं सो जाती हैं..फिर कुछ ऐसा होता है जब नयी पुरानी यादें मिलती हैं और एक
    बेहद खूबसूरत रचना बन जाती है...
    बहुत ही सुंदर प्रस्तुति.

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  30. बहुत सुन्दर यादें
    बहुत बहुत आभार

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  31. अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं

    बेहतरीन रचना

    जवाब देंहटाएं
  32. वाह !
    यादें सांस लेती हैं यही यादों की सजीवता है ..
    क्या कभी यादें आपस में सौतन सा व्यवहार नहीं करतीं ..
    सोचें तो रात , कली , भोर , हवा .... सबके अहसास हैं उस
    एक लमहे में ! ... याद का यह लम्हा मुबारक हो कलाकार को ... आभार ,,,

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  33. aapke lekhan ko le jo manoj jee ne likha usase mai shat pratishat sahmat hoo............
    bemisal.................

    जवाब देंहटाएं
  34. हवा गुनगुनाई
    कली मुस्कुराइ
    चुपके से मैने ओढ़ ली
    तेरे एहसास की गुलाबी रज़ाई...
    बेहतरीन रचना...

    जवाब देंहटाएं
  35. हवा गुनगुनाई
    कली मुस्कुराइ
    चुपके से मैने ओढ़ ली
    तेरे एहसास की गुलाबी रज़ाई
    कुछ इस तरह कि
    हम ऐसे में तेरी यादों की चादर तान लेते हैं....बहुत सुन्दर.

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  36. सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं
    क्या शब्द और भाव हैं...दिगंबर जी वाह...बेहतरीन रचना...बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  37. दिगंबर जी

    अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं

    बहुत बढ़िया.......खूबसूरत ग़ज़लों से हटकर एक अलग रचना............ ये भी बेहतरीन है...बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  38. aapka protsahan ek nai oorja ka sanchar kar deta hai

    अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं

    khoobsoorat

    सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं ........ this make it beautiful.

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  39. बहुत अच्छी और सुंदर पंक्तियों के साथ बहुत ..... सुंदर पोस्ट....

    नोट: लखनऊ से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ....

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  40. ehsaso ki sundar abhivyakti, abhinandan!

    जवाब देंहटाएं
  41. अब नयी यादें
    अक्सर पुरानी यादों से मिलती हैं
    कुछ नये ख्वाब
    नये सपने संजोती हैं

    सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं ........
    Kya kahun?

    जवाब देंहटाएं
  42. सुना है
    अब यादें भी साँस लेती हैं ........
    बेहतरीन ।

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  43. agar yaadon ko sanjo kar rakho..
    to wo sach me saans leti hai,
    aapko uski dhadhkan jaga deti hai
    aur fir uss yaad me aap kho jate ho:)

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है