स्वप्न मेरे: वो एक लम्हा ...

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

वो एक लम्हा ...


जब तक तुम साथ थीं 
बच्चों का बाप होने के बावजूद 
बच्चा ही रहा 

तेरे जाने के साथ 
ये बचपना भी अनायास साथ छोड़ गया 
उम्र के पायदान 
अब साफ़ नज़र आते हैं 

कहते हैं एक न एक दिन 
जाना तो सभी ने है  
समय तो सभी का आता है 

पर फिर भी मुझे   
शिकायत है वक़्त से 
क्यों नहीं दी माँ के जाने की आहट 
एक इशारा, एक झलक 

क्यों नहीं रूबरू कराया उस लम्हे से 

हालांकि रोक तो मैं भी नहीं पाता उसे
पर फिर भी ... 

67 टिप्‍पणियां:

  1. निःशब्द हूँ.


    ..........
    तेरे जाने के साथ
    ये बचपना भी अनायास साथ छोड़ गया
    उम्र के पायदान
    अब साफ़ नज़र आते हैं

    माँ बाबूजी की झलक ही कितनी मजबूती दे जाती है.

    मर्मस्पर्शी शब्द.

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  2. खबर मिल भी जाती तो जाने वाले को रोक नहीं सकता कोई..जिंदगी का यही क्रम है..यादों को दीपक बनकर आगे का रास्ता तय करना है..

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  3. मां साथ है, यदि वह आपको याद है। और आप तो सदैव ही मां को याद करते हैं, इसलिए वो कहीं नहीं गई, आपके पास ही है।

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  4. काश....!, एक ऐसा शब्द है जो हमारी जिंदगियों से बेसाख्ता जुड़ा हुआ है ....लेकिन यह भी याद दिलाता है ...कि हम बहुत निरीह हैं ...नियति के आगे .....बहुत ही मार्मिक लगी आपकी रचना ...बिछड़ने का दुःख ..और वह भी माता पिता से असह्यनिय होता इसकी पीड़ा सिर्फ भुक्त भोगी ही समझ सकता है ....

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  5. मिट्टी का काया मिट्टी में मिल गया ,उनकी अनश्वरता आपमें सदैव विद्यमान है.
    latestpost पिंजड़े की पंछी

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  6. आभार आदरणीय -

    उधर सिधारी स्वर्ग तू, इधर बचपना टाँय |
    टाँय टाँय फ़िस बचपना, हरता कौन बलाय |

    हरता कौन बलाय, भूल जाता हूँ रोना |
    ना होता नाराज, नहीं बैठूं उस कोना |

    एक साथ दो मौत, बचपना सह महतारी |
    करना था संकेत, जरा जब उधर सिधारी ||

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  7. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

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  8. maine apne jeevan mein pehli baar "bua ji" ko jaate dekha wahan sirf man thi aur wo.... aashchary is baat kaa hai ki main samjh bhi nahi paai ke wo jaa rahi hai

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  9. जब तक माँ रहती हैं सच ही स्वयं को हम बच्चा समझते रहते हैं ... उनके जाने के बाद एक दम से बड़े हो जाते हैं ... एहसास को खूबसूरती से लिखा है ।

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  10. यादें भी बहुत बडा संबल होती है, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  11. बूढ़े हो जाने पर भी माँ के लिए ह बच्चे ही रहते है,माँ की कमी कोई पूरा नही कर सकता है.बहुत ही सुन्दर.

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  12. मां की कमी किस शिद्दत से महसूस रहे हैं :(

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  13. ममता सारे अस्तित्व को एक चादर सा ओढ़े रहती है, हम निश्चिन्त भाव से पड़े रहते हैं...हृदय छूती पंक्तियाँ।

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  14. वेसे तो माँ बाप का साया हमेशा बच्चो के साथ रहता है फिर भी माँ को भूलना आसान नही होता,,,

    Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,

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  15. एक ही दिन क्या भाई साहब एक ही पल में बड़ा हो जाता है आदमी माँ या बाप के यूं चले जाने के बाद .मार्मिक प्रसंग हमारा सांझा .

    जब तक तुम साथ थीं
    बच्चों का बाप होने के बावजूद
    बच्चा ही रहा

    तेरे जाने के साथ
    ये बचपना भी अनायास साथ छोड़ गया
    उम्र के पायदान
    अब साफ़ नज़र आते हैं

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  16. गुलजार साहब के शब्दों मे ...
    "एक छोटा सा लम्हा है ... जो भस्म नहीं होता ... मैं लाख जलाता हूँ यह खत्म नहीं होता"

    'उस' लम्हे की चोट और उसका दर्द तो अब सारी उम्र सताएगा ... पर ज़रा सोचिएगा ... क्या माँ आपको दर्द मे तड़पता देख पाएगी ... नहीं न !!

    कुछ ज्यादा बोल गया हूँ तो माफ कीजिएगा पर आपकी पीड़ा का अनुमान लगा सकता हूँ इस लिए कहा !

    सादर !


    आज की ब्लॉग बुलेटिन १९ फरवरी, २ महान हस्तियाँ और कुछ ब्लॉग पोस्टें - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  17. माँ के न होने का अहसास तब और भी बढ़ जाता है जब माँ एकायक हमारा साथ छोड़ देती है, जब तक माँ होती है हम बच्चे ही होते है माँ के जाने के बाद जब माँ के मातृत्व का आवरण नहीं रहता और हमारा बचपन भी हमसे छिन जाता है ,माँ का शुभाशीस आपके साथ है निराश ना हो,शुभकामनाये

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  18. नहीं है भूलना उन्हें इतना आसान
    पर याद कर कर के भी क्या होगा।

    शुभकामनायें।

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  19. शिवम् जी की बात से सहमत हूँ , माँ हर हाल में अपने बच्चों की ख़ुशी चाहती है आपको दुखी देख उनकी आत्मा भी दुखी होगी... वास्तविकता को स्वीकार कीजिये... शुभकामनायें

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  20. कहते हैं एक न एक दिन
    जाना तो सभी ने है
    समय तो सभी का आता है

    सच कहा आपने

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  21. माँ जाने का इशारा करतीं भी तो क्या???
    तब क्या मन को समझाया जा सकता था???

    बस अब यादों को संजोये रखिये और यूँ रहिये जैसे माँ चाहती थीं..
    सादर
    अनु

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  22. फिर भी.....

    यह विचार तो मन में हमेशा ही रहेगा .... मर्मस्पर्शी भाव

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  23. जीवन का सत्य यही है... एक दिन चले जाना, बिना बताए. माँ को समर्पित मार्मिक रचना, शुभकामनाएँ.

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  24. marmik abhivyakti nasva ji , sach kaha aapne , aur us jagah ko koi nahi bhar paata

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  25. घनीभूत ...अंतस की पीड़ा झलक रही है आपके शब्दों में....निरीह सा मन सम्झौता ही कर सकता है वक़्त के साथ ......माँ की यादों को ले ...

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  26. पर फिर भी मुझे
    शिकायत है वक़्त से
    क्यों नहीं दी माँ के जाने की आहट
    एक इशारा, एक झलक ....
    वक्त तो हर पल इशारा देता है लेकिन हम ही शायद देख पाने में असमर्थ होते है जीवन की आपाधापी में !

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  27. इस दर्द को साझा कर सकती हूँ, पर कैसे कहूँ कि वक्त पीछे जाये और आहट दे जाये .......... आहट स्वीकार नहीं होता

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  28. भाई दिगंबर नासवा जी
    अपनों के बिछड़ने का दुःख बहुत पीड़ादायक होता है. लेकिन यादों को सहेजते हुए इंसान को सदमे की स्थिति से धीरे-धीरे उबरने की कोशिश करनी चाहिए. नज्मों के जरिये अपने दुःख को अभिव्यक्त करते हुए इस दिशा में प्रयास जारी रखें. अभी दुनिया के बहुत सारे काम आपके हाथों संपन्न होने हैं.

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  29. आपका लिखा जब भी पढ़ती हूँ मन भावुक हो जाता है और अहसास होता है माँ के न होने पर

    भावनाओं में हर पल माँ किस कदर साथ होती है
    सादर

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  30. जब तक तुम साथ थीं
    बच्चों का बाप होने के बावजूद
    बच्चा ही रहा


    बहुत ही कोमल भाव.....
    सुन्दर रचना...

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  31. आँखे नम हो गयी रचना पढ़कर ............

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  32. माँ से जुडी आपकी ये रचनाएं ,मन द्रवित कर जाती हैं

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  33. दिल को छूती कविता |अब हमें माँ के कदमो की आहट अपने बच्चो बताने होंगे |

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  34. जब माता-पिता का साया हमारे सर से उठ जाता है तब अचानक ही हम बडे हो जाते हैं।

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  35. आपके दर्द को हम समझ सकते हैं , हम बड़े तभी होते हैं जब हमारे बड़े का साया अपने सर से हटा हुआ पाते हैं फिर भी हम आहट पाकर और व्याकुल हो जाते क्योंकि हम उस पल को जान कर तिल तिल मरतेहै . वो बेबसी मैंने देखी है कि हम बेबस होकर बस देखते रह जाए हैं और उन पीडाओं को न किसी से बाँट सकते हैं और न छोड़ सकते हैं।

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  36. बहुत सुन्दर! दिल छू गयी गहरे तक!

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  37. हर बार माँ के प्यार का नया रंग

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  38. शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .इस मार्मिक रचना का .माँ की यादों से हम सबको जोड़ने का .

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  39. माँ की अनुपस्थिति शब्दों में कैसे व्यक्त हो

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  40. 'एक झलक एक इशारा ..क्यों नहीं दी जाने की आहट'..यह मलाल ताउम्र रहेगा.
    कसक रहेगी.
    माँ की स्मृति में यह फ़ूल मन को छू गया.

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  41. एक दम से बड़ा हो जाता है कुछ ही पलों में व्यक्ति जब तक माँ बाप रहते हैं वह बच्चा ही रहता है .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .

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  42. अद्भुत , अति उत्तम , क्या कहे इस रचना के बारे में शब्द ही नहीं मेरे पास तो

    मेरी नई रचना


    खुशबू

    प्रेमविरह

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  43. कुछ भी अजीब सा होने पर हमेशा माँ की ही याद आती है| बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ...

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  44. शुक्रिया भाई साहब आपकी टिपण्णी के लिए .

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  45. माँ साथ रहती है तो दिल मजबूत रहता है हरपल ....बच्चे से दूर जाने पर कितना दुःख होता है यह बच्चे से बेहतर कौन समझ सकता है .....

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  46. बहुत ही मर्मस्पर्शी , दिल को छू जाने वाली कविता. .

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  47. bahut bahut khoob....
    तेरे जाने के साथ
    ये बचपना भी अनायास साथ छोड़ गया
    उम्र के पायदान
    अब साफ़ नज़र आते हैं ,
    ,
    .ma ke liye bachhe hi rhe hamesa.

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  48. मन पसीज गया . क्या कहें . विधि का विधान

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  49. बहुत ही मार्मिक, सुन्दर पंक्तियाँ ...

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  50. आपकी रचना निर्झर टाइम्स पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें http://nirjhar-times.blogspot.com और अपने सुझाव दें।

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  51. जब तक तुम साथ थीं
    बच्चों का बाप होने के बावजूद
    बच्चा ही रहा

    तेरे जाने के साथ
    ये बचपना भी अनायास साथ छोड़ गया ......
    दिगंबर जी बहुत सच्चाई है इन पंक्तियों में और कविता का हर शब्द दिल को छू रहा है।

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  52. मेरे पास तारीफ़ के लिए शब्द नहीं हैं . ..मैं आपके ब्लॉग से जुड़ रहा हूँ मुझे खुसी होगी यदि आप भी मेरे ब्लॉग से जुड़ेंगे ...सादर प्रणाम ..ढेर सारी बधाइयों के साथ..

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है