स्वप्न मेरे: कमाई खत्म हो जाती है अपना घर बनाने में ...

सोमवार, 11 नवंबर 2013

कमाई खत्म हो जाती है अपना घर बनाने में ...

किसी को हद से ज़्यादा प्यार न करना ज़माने में
गुज़र जाती है पूरी उम्र ज़ालिम को भुलाने में

कभी बच्चों के सपने के लिए बरबाद मत करना
कमाई खत्म हो जाती है अपना घर बनाने में

करो बस फ़र्ज़ पूरा हक न बच्चों से कभी माँगो
जो हक माँगा लगेंगे दो मिनट कुछ भी सुनाने में

जो इज्ज़त दे रहे बच्चे तो उनका मान भी रक्खो
समझ लो है बड़प्पन ये समझदारी निभाने में

नहीं मिलती बिना मेहनत किसी को कामयाबी फिर
कंजूसी मत करो अपना पसीना तुम बहाने में

कभी टूटे हुए पँखों से मिलना तो उन्हें कहना
लड़ो खुद से, मज़ा मिलता है खुद को आजमाने में

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